बुद्धि और भाग्य में कौने बडा है?
एक समय की बात है ब्रह्मा जी के दरबार में भाग्य और बुद्धि में यह प्रश्न उठ गया कि कौन बडा है, एक दिन की बात है ब्रह्मा जी का दरबार लगा हुआ था उस समय भाग्य व बुद्धि में तीखी नोंक झौंक होने लगी और भाग्य ने कहा मै बडा हॅू मै जाे करता हॅू वह काम तुम नही कर सकती है और बुद्दि ने कहा मै जो कर सकती हॅू वह कोई नही कर सकता है बुद्दि ने कहा भाग्य आप मूर्ख मत बनो मै जब किसी का साथ छोड देती हॅू तो वह मनुष्य कुछ नही कर सकता है और मनुष्य पागल हो जाता है , उसी समय भाग्य बोला अगर मै मनुष्य का साथ छोड दॅू तो आप कुछ नही कर सकता है अब दोनो में कौन बडा है यह सुझाव चल रहा था उसी समय ब्रह्मा जी ने सोचा यह फैसला मुझे करना होगा तो ब्रह्मा जी ने कहा क्या बात है भाग्य ने कहा भगवन बुद्धि यह कहती है कि मै बडी हूॅ और अगर मै किसी मनुष्य का साथ छोड दॅू वह मृतक के समान हो जाता है इस प्रकार दोनों का तर्क सुनने के बाद ब्रह्मा जी के मन में यह विचार आया कि यह तो फैंसला बडा कठिन है अब ब्रह्मा जी ने कहा आप दोनो अपनी अपनी क्षमता का परिक्षण करके मुझे बताओ तब कौने बडा है इसका पता चलेगा भाग्य ने कहा प्रभू जैसी आपकी इच्छा लेकिन बुद्धि मुझसे बडी नही हो सकती है।
ब्रह्माजी ने क्या कहा
ब्रह्मा जी ने कहा यह एक चरवाह है इसका भाग्य बदलकर देखो भाग्य ने कहा ब्रह्मा जी पहले मुझे आदेश दो अब बुद्धि भाग्य से कहने लगी अब इसको सम्राट बनाओ बुद्धि ने कहा मै इसका साथ छोड रही हॅू अब भाग्य उस चरवाहे को सम्राट बनाने की सोचने लगा और वह उस चरवाहे के पास गया और उस चरवाहे के पास भाग्य ने देखा केवल 3 बकरियॉ ही है और एक टुटी सी झौपडी है वह पूरा दिन उन बकरियों को चराने मे लगा रहता है और भाग्य ने सोचा इसके पैरों मे चप्पल,जूते भी नही है अब भाग्य ने पास पलटा और सोने के जुते लेकर उनको जिस स्थान से होकर चरवाह निकलता था उस स्थान पर रख दिये जब उस लडके ने देखा कि सोने के जूते मार्ग में पडे है वह जान नही सका कि ये जूते सोने के है उस चरवाहे ने वे जूते अपने पैरो में पैर लिये और सोचा चलो अब ये जूते पहनने के काम आयेगे वह चरवाह रोजना उन जूतों को पहन कर जंगल में जाता और लकडीयॉ काट कर लाता उसके जीवन में कोई बदलाव नही हुआ उसकी माता की बुद्धि भी छोडकर चली गई थी भाग्य ने उस चरवाहे को खुब साथ दिया लेकिन उसके जीवन में कोई बदलाव नही हुआ था भाग्य सोचने लगा मैने इसे सम्राट बनाने का वायदा किया था लेकिन इसमें कोई बदलवा नही आया ये तो पागलो की तरह रहता है बुद्दि ने कहा ये देखो जब मै इसका साथ नही दे रही हॅू तो ये कुछ भी नही कर सकता है ।
एक देश का राजा जिसका नाम था तेजप्रता था राजा तेजप्रताप का एक सौदागर जो रोजाना अपने ऊटों पर पीतल लादकर उसे बेचने के लिए जाता था उस सौदागर ने देखा कि इस चरवाहे के पैरो में सोने के जूते है लेकिन यह उनकी कदर नही करता है सौदागर ने सोचा यह चरवाह इन जूतो के बारे में शायद कुछ नही जानता है उस सौदागर ने पूछा भाई ये जूते तुम्हे कहॉ से मिले है उसने कहा ये जूते मुझे जगंल के रास्ते पडे हुये मिले थें तो उस सौदागर ने कहा ये जूते आप मुझे बेच दो चरहवाहे ने कहा बेच दूूगा क्योंकि इनको मै बहुत दिनों से पहनता हॅू लेकिन ये फटते भी नही है ,सौदागर ने कहा तो बताओ इसके बदले तुम क्या लोगे चाहवाहे ने कहा इनके बदले तुम मुझे एक मन आटा दे देना जिससे मेरा व मेरी माता की रोटी का काम चेलेगा ,सौदागर ने कहा मंजूर है ,और एक मन आटे में सौदागर ने जुते खरीद लिये ।
बुद्धि ने भाग्य से कहा
हे भाग्य ये क्या हो रहा है आप कहॉ सो गये जिसे आप एक सम्राट बनाना चाहते है उसने तो सोने के जूते एक मन आटे में बेच दिये तो भाग्य ने कहा बुद्धि आप चुपचाप रहो और देखते रहो मैं क्या करता हॅू इसे सम्राट बनाकर रहॅूगा बुद्धि ने कहा भाई ये सम्राट के चक्कर में इसको आप मार मत देना क्योंकि ये चरवाह बुद्धि के बिना कुछ नही कर सकता है फिर भाग्य ने पासा पलटा और हीरेजडित सोने के जूते फिर दुबारा लेकर जहॉ से वह चरवाह जाता था उस स्थान पर रख दिये फिर उसी रास्ते से चरवाह निकला तो उसने देखा ये जुते तो पहले से भी अच्छे है चलो इनको भी पहन लेता हॅू उसने वे जूते पहन लिये और अपनी बकरियों को चराने के लिए चला गया फिर वह सौदागर एक दिन उसी रास्ते से होते हुये अपना माल बेचने जा रहा था तो उस चरवाहे के पास उसने पहले से भी सुन्दर सर्वण हीरेजडित जूते देखे और कहा भाई क्या ये जूते तुम मुझे बेच दोगे चहरवाहे ने कहा बेच दूूॅगा लेकिन मुझे एक बोरी भूने हुए चने देने पडेगे तो सौदागर ने हॉ भर लि और उन जूतो को एक मन चनों में खरीद लिया अब सौदागर के मन में विचार आया कि ये जूतो को राजा को दे दॅू तो मुझे काफी धन मिलेगा उसने ऐसा ही किया और राजा के पास चला गया ,राजा जूते देखकर काफी खुश हुआ और उन जूतो को 100 सर्वणमुद्राए देकर ले लिये और सौदागर से राजा ने कहा भाई आप ये जूते कहां से लेकर आते है सौदागर ने झॅूठ बोली और कहा महाराज मै जहॉ अपना माल बेचने जाता हॅू वहॉ के राजा ने मुझे खुश होकर ये जूते दिये है ताे राजा ने कहा उनके कोई पुत्र हो तो अपनी बेटी की शादी उसके कर देगे अब की बार जब जाओ तो ये प्रस्ताव लेकर आना अब तो सौदागर फंस गया और कहने लगा ये तो बडी मुशिबत में पड गया अब क्या करूं हो सके उस चरवाहे के पास ही जाता हॅू तो वह उस चरवाहे की झौपडी पर चला गया और देखा चरवाह अपनी बकरियों के साथ वही बैठा था सौदागर ने अपने पीतल के बर्तनों का बोरा उतारा और बैठ कर चरवाहे से बात करने लगा वह चरवाह जब उसके बर्तनों के बोरे पर आकर बैठा तो वे सभी बर्तन सोने के हो गये क्योंकि भाग्य साथ दे रहा था ,सौदागर ने मन ही मन सोचा ये तो बडा काम का व्यक्ति है,यो कोई बडा व्यक्ति या जादूगर है इसे ही मै राजा बना देता हॅू।
सौदागर ने चारवाहे से कहा
भाई तुम चिन्ता मत करो मेरे पास काफी धन दौलत है और मै आपके यहॉ महल ,किला बना देता हॅू और आप उसके राजा बन जाना राजा बनने के बाद मै आपकी शादी मेरे देश के राजा की बेटी से करवा दॅूगा फिर आप आराम से जिन्दगी जीना चरवाहे ने कहा भाई तुम जो भी करो ,करो लेकिन मेरी बकरियों का ध्यान जरूर रखना सौदागर ने सोचा ये व्यक्ति तो निरा मुर्ख है इसकी बुद्धि नष्ट हो गई मैं तो इसको राजा बना रहा हॅू और ये अपनी बकरियों का राग अलाप कर रहा है ,अब सौदागर ने वहॉ पर महल बनवाकर वापिस राजा के पास गया और कहॉ महाराज मै उस राजा को शादी के लिए तैयार कर आया हॅू और आप वहॉ पर अपनी बेटी की सगाई उस राजा के बेटे के साथ कर दो मै तय करके आया हॅू राजा ने दो नौकर भेज दिये और उसकी सगाई करवा दी अब विवाह का समय आ गया और चरवाह अपनी बकरियों के साथ रहता है उनको चराता है और मस्त रहता है सौदागर ने कहा ये चरवाह मुझे मरवा नही दे इसके तो कोई परवाह ही नही है सौदागर उस चरवाहे के पास गया और उसने उसको सारी बात बताई और कहा मुझे और तुझे दोनो को राजा मार देगा अगर किसी बात का पता चल गया तो इस कारण मै जिस प्रकार कहॅू उस प्रकार ही आप काम करो चरवाहे ने मन में सोचा यह संकट कहां से आ गया मैं तो अपनी जिन्दगी आराम से व्यतित कर रहा था इसने खुब परेशान किया मुझे ,अब विवाह का समय आ गया और बरात लेकर राजा के देश में जाने लगे काफी सेना ,हाथी ,घोडे लेकर पहुंच गये और शादी की रश्म पूरी हो गई अब उस चरवाहे को एक अलग सात मंजिला कमरे में सुला दिया अब उसको वहॉ पर कई प्रकार की आवाज आने लगी क्योंकि उसको छोटे समय में उसकी माता भूतों की कहानियॉ सुनाया करती थी तो उसको पायलो और चुडियों की आवाज जैसे ही आती तो उसने सोचा भूत आ रहा है उसने एक खिडकी से होकर कूदने की तैयारी कर लि उसी समय बुद्धि ने भाग्य से कहां भाग्य इस व्यक्ति को किसी प्रकार से बचा सको तो बचा लो अन्यथा ये कूदकर मर जायेगा क्योंकि इसमें बुद्धि नही है, भाग्य ने कहा बुद्दि आप बडी मै छोटा ,बुद्धि आप जीती मैं हारा पर इसको किसी प्रकार बचाओं उसी समय बुद्धि उस चरवाहे के शरीर में प्रवेश करती है वह चरवाह उपर से कूदते हुये रूक जाता है ।
ब्रह्माजी का फैंसला
ब्रह्मा जी ने कहा भाग्य आप परिक्षण में सही सफल नही हो सके इस कारण सुनो, भाग्य से बडी बुद्धि है, बुद्दि के बिना व्यक्ति कुछ नही कर सकता है चाहे वह कितना ही धन, दौलत वाला हो इस कारण बुद्धि ही बडी है।
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