राजा और कबूतर की कहानी: Story of King and Pigeon

WhatsApp Group Link
WhatsApp Group
Join Now
Telegram GroupTelegram Group Join Now

दोस्‍तो कहानी एक सच्‍ची घटनाओं एंव काल्‍पनिक घटनाओं के आधार पर होती है लेकिन हमको कहानियों से जीवन में कुछ सिखने को मिलता है और उनको जीवन में उतारना भी चाहिए ,आज इस युग में पुरानी कहानियों का बोल बाला कम हो गया है इसी को देखते हुए हमारे द्वारा आपको कुछ कहनियॉ प्रस्‍तुत की जा रही है।जिन्‍हे आप पढे और दुसरो को पढने के लिए प्रेरित करें ।एक बार एक राजा था, जिसका नाम था वीरप्रताप सिंह,उस राजा के तीन राजकुमार अर्थात तीन बेटे थे राजा की इच्‍छा थी की इन तीनों में से किसे अपने राज्‍य का उत्‍तराधिकारी राजा बनाया जाये वह बडे संशय में पडा हुआ था कि आखिर राज पाट किसे सौंपा जावे, किसको राजा बनाया जावे ।

राजा की सुझबुझ

राजा की सूझबूझ-

एक दिन राजा ने अपने तीनों बेटो को अपने पास बुलाया और कहा मै आज तुम तीनों से एक प्रश्‍न पूछता हूूॅ अगर तुम्‍हारे पास कोई गुनहगार खडा है तो तुम उसके साथ क्‍या करोगें ।

राजकुमार नम्‍बर 1

राजा के बडे बेटे ने कहा पिताश्री अपराधी को सजा ए मौत दी जानी चाहिए ।

राजकुमार नम्‍बर 2

राजा के दुसरे नम्‍बर के बेटे ने कहा पिताश्री गुनहगार को काल कोठरी में बन्‍द कर देना चाहिए ।

राजकुमार नम्‍बर 3

राजा के तीसरे नम्‍बर के बेटे ने कहा पिताश्री उसको सजा देने से पहले उसकी निष्‍पक्ष जॉच करनी चाहिए और यह भी निश्‍चय करना चाहिए कि वह सही में अपराधी है या नही है ।

इस बात पर राजा के तीसरे बेटे ने द्वारा एक उदाहरण देकर एक कहानी सुनाई  –

एक बार एक राजा के पास एक कबूतर रहता था उस कबूतर ने राजा से अपने माता- पिता के पास जाने की कही लेकिन राजा ने मना कर दिया उस पर कबूतर ने हार नही मानी और वह बार बार माता- पिता के पास जाने की इचछा करता रहा ।  अन्‍त में राजा ने उसकी बात मान लि और उसके माता- पिता परिवार से मिलने की आज्ञा दे दी गई, लेकिन कहा कि आप 3 दिन में मिलकर वापिस यहॉ आ जाना कबूतर अपने माता- पिता के पास चला गया और सबसे मिलकर वापिस राजा के पास जाने की तैयारी कर रहा था तो उसके मन में एक विचार आया कि रााजा के लिए कुछ लेकर चलू इसके लिए वह पर्वत की और चला गया अमृतफल लेने के लिए उसने वहॉ जाकर अमृतफल ले लिया लेकिन उसको वहीं पर रात हो गई इसलिए वह कबूतर वही पर रूक गया जब वह रात में सो रहा था तो वहॉ पर एक सर्प आया और उस फल के मुंह लगा दिया जिससे फल जहरिला हो गया गया लेकिन इस बात का कबूतर को कोई मालूम नही था । अगले दिन सुबह कबूतर उस फल को लेकर राजा के महल में पहुॅच गया और राजा को वह फल खाने के लिए दे दिया इस पर राजा बडा प्रसन्‍न हुआ और उस फल को खाने लगा इतने में ही मंत्री ने कहा महाराज आप इसकी पहले जॉच कर लो ये फल सही भी है या नही है इस पर राजा सहमत हो गया और उस फल को जॉच करने के लिए एक जानवर को उसका एक टुकडा पटक दिया उसको खाने से जानवर की मौत हो गई, इस पर राजा को बडा गुस्‍सा आया और तलवार निकालकर उस कबूतर की गर्दन काट दी । और उस फल को बाहर फिंकवा दिया उस फल को जहॉ फैंका गया था उस जगह पर एक पौधा उग गया और एक बडा पेड हो गया , राजा ने देखा यह तो वही जहरिले फल का पौधा है इसलिए उसने किसी को भी उसके फल खाने के लिए मना कर दिया ।क्‍योंकि इस प्रकार के फल को खाने से किसी भी व्‍यक्ति को हानि हो सकती थी ।

एक दिन की बाद है एक राहगीर (Pedestrian)उस रास्‍ते से निकल रहा था तो उसको काफी थकान हो गई वह उस पेड के नीचे सो गया, तब उसने देखा उस पौधे पर तो अच्‍छे  अच्‍छे फल लगे हुए है उसको भूख भी लग रही थी उसने उसमें से फल खा लिये यह पता जब राजा को चला तो राजा ने देखा वह राहगीर बूढा था जवान हो गया और वह जिन्‍दा ही था । अब राजा सोचने लगा मैने बहुत बडी गलती की है यह फल तो जहरीला नहीं है मैने कबूतर को मारकर बडी गलती कर दी इस पर राजा को काफी पछतावा हुआ वह मन ही मन अपने भाग्‍य को कोसता रहा ।  इधर तीसरे बेटे की कहानी खत्‍म होने के बाद उसको राजा ने अपना उत्‍तराधिकारी अर्थात राजा बना दिया और जश्‍न मनाया ।

कहानी से सीख – इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी बिना जॉच किए, बिना सोचे समझे किसी को भी सजा नही देनी चाहिए । 

WhatsApp Group LinkWhatsApp Group Join Now
Telegram GroupTelegram Group Join Now