सच्चाई की हमेशा जीत होती है
एक बार एक राजा था उसके दरबार में वह न्याय कर रहा था उसके दरबार में न्याय के लिए दो व्यक्ति आये और न्याय की गुहार लगाने लगे राजा ने उन्हे अपना अपना पक्ष रखने के लिए कहा-
(1) प्रथम व्यक्ति ने अपना पक्ष रखा तो उस समय राजा व्यस्त था कयोंकि वह एक छोटे बालक के साथ खेलने में व्यस्त था उसका ध्यान प्रथम फररियादी की तरु कम ही था
(2) दुसरे व्यक्ति ने जब अपना पक्ष रखा तो राजा ने उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी उसकके हिसब से राजा ने अपना फैंसला सुनाया और वह फैंसला दुसरे फरयिादी के हक में सुनाया जिसे देखकर सभी दरबारी हैरान रह गये क्योंकि प्रथम व्यक्ति निर्दोष लगा रहा था पर राजा के सामने सच बोलने की किसी की भी हिम्मत नहीं हुई थी इस बात को कई रोज बीत चुके थे और प्रथम व्यक्ति को बिना वजह सजा काटनी पडी जब इस बात का पता प्रथम व्यक्ति के बेटे को लगी तो उसने दरबार में जाने की सोची और वह दरबार में चला गया अगले दिन प्रथम व्यक्ति के बेटे को ने दरबार में जाकर राजा के सामने खडा हो गया राजा ने पूछा क्यों आये है तो उसने राजा से कहा में न्याय मांगने आपके दरबार में अया हॅू राजा ने कहा कैसा न्याय तब उसने कहा
सजायाप्त व्यक्ति के बेटे ने राजा से क्या कहा
महाराज एक राजा था जब मेरे पिता न्याय मांगने उनके दरबार में पहुचा तो उन्होने अपना पक्ष रखा लेकिन उस समय वह राजा कहीं ओर खो गया और जब दुसरे व्यक्ति ने अपना न्याया मांगा तो राजा ने उसकी पूरी बात सुनी और उसके हक में फैंसला सुनाया हे राजन अब आप ही बताये की क्या वह फैंसला सही हो सकता है ऐसे समय में फरीयादी और दरबारी को क्या करना चाहिए
राजा ने कहा
बेटे आपकी बात बिल्कुल सही एंव सत्य है ऐसे समय राजा को लापरवाही नही करनी चाहिए क्योंकि ऐसे समय में बिना दोष के फरियादी को दण्ड सहना एक पाप है और दरबारी भी न्याय का हिस्सा होते है राजा कोई भगवान नही होता गलती राजा से ीाी हो सकती है ऐसे में दरबारियों को ीाी राजा को सलाह देना उनका परम धर्म होता है क्योंकि किसी भी न्याय पर पूरे राज्य की प्रतिष्ठा नि र्भर होती है यह सुनकर सभी दरबारियों का सिर लज्जा से झूक गया राजा की बात पूरी होने पर प्रथम व्यक्ति के बेटे ने कहा हे राजन वह राजा आप ही आपने ही मरे पिता को सजा दी थी उस समय आप कहीं किसी बच्चे के साथ खेल रहे थे आपने ही मेरे पिता अर्थात प्रथम व्यक्ति की बात सही नही सुनी और दुसरे की सुनी इस कारण आपने मेरे निर्दोष पिता को सजा दी और वे आज सजा काट रहे है राजा ने यह बात सुनकर सभी दरबारियों को फटकार लगाई इसी के साथ राजा ने सत्य बोलने वाले फरियादी के पुत्र का अभिवादन किया और इससे राजा एंव दरबारियों को सबक मिला और राजा ने उसके पिता को सजा से मुक्त किया और उसको दरबार में नौकरी प्रदान की गई
कहानी से शिक्षा सच्चाई बोलने वालों की हमेशा जीत होती है