हक त्याग पत्र क्या हैं (What is Release Deed)
दोस्तो आपको हमारी बेबसाइट के माध्यम से हक त्याग की जानकारी दी जा रही है,दोस्तो कई बार आपके मन में यह प्रश्न आता है कि सम्पत्ति में विरासत के अनुसार भाई ,बहिन, माता, पिता अर्थात परिवार के नाम दर्ज हो जाते है वे नाम लिगल होते है क्योंकि कोई भी व्यक्ति अगर अपनी सम्पत्ति को छोडकर परलोक चला जाता है तो उसके पश्चायत उसके वारिसो का नाम आना जरूरी हो जाता है अब इन नामो में से जैसे माता , बहिन इनका नाम हटवाने के लिए सरकार द्वारा हकत्याग करवाने का प्रावधान रखा गया है तो अब आपको हकत्याग करवाने की जानकारी दी जा रही है ,जिसमें जो भी व्यक्ति अपनी स्वैच्छा से नाम हटवाना अर्थात अपने हिस्से को दुसरे को बिना प्रतिफल के देने का प्रावधान है आप यह जानते है कि कोई भी व्यक्ति अपनी विरासत में जो सम्पत्ति छोडकर जाता है , उसकी मृत्यु के बाद एक स्व घोषणा शपथ पत्र पटवारी हल्का को प्रस्तुत कर उस सम्पत्ति का (Mutation) नामान्तकरण खुलवाया जाता है। नामान्तकरण खुल जाने के बाद जो विरासत में नाम आते है उनमें से किसी भी नाम को हटवाने के लिए उस व्यक्ति का हकत्याग करवाया जाता है। सरल शब्दो में यह भी कहा जा सकता है कि किसी भी सम्पत्ति में अपने अधिकारों को दुसरे व्यक्ति को बिना प्रतिफल के देना ही हकत्याग कहलाता है। हकत्याग केवल (Blood Relation) अर्थात खून के रिश्ते में किया जाता है जैसे भाई-बहिन ,पिता-पुत्र,माता -पुत्र ,व भुआ – भतीजे इत्यादि जिसमें सहखातेदार होना आवश्यक है हक त्याग पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 17(1) B के अनुसार हकत्याग पंजीकरण करवाना आवश्यक है।ध्यान रहे आपकी कितनी भी बडी सम्पत्ति का हकत्याग आपके द्वारा करवाया जा रहा है तो फीस इस प्रकार होगी 500/- रू का स्टाम्प +30 प्रतिशत सरर्चाज के साथ व 500 रू रजिट्रशन शुल्क एंव 300 रू अन्य चार्ज लगता है ।अगर ब्लड रिलेशन के अलावा हकत्याग करवाया जाता है तो फीस चार्ज अलग होता है ।
हक-त्याग करवाने में पक्षकार कितने होते है
हकत्याग करवाते समय 3 पक्षकार होते है ।
- हकत्याग कर्ता/कर्तागण
- हकत्याग ग्रहित/ग्रहितागण
- गवाह 2
हक- त्याग करवाते समय आवश्यक दस्तावेज क्या हैं (Important Documents For Release Deed)
- राजस्व रिकार्ड के अनुसार अपने नाम की जमाबन्दी डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त जिसमें सहखातेदार हो ।
- हकत्याग कर्ता हकत्याग ग्रहिता ,गवाह ( 2 )की फोटो 2 हो ।
- उक्त पक्षकारों के अनुसार सभी की आईडी जैसे आधार कार्ड, पहचान पत्र, पैन कार्ड इत्यादि किसी एक दस्तावेज की फोटो प्रति हो।
हक-त्याग करवाने का सरल तरीका क्या है
स्टेप 1 सर्व प्रथम जिन पक्षो के मध्य हकत्याग करवाया जा रहा है वे व्यक्ति सह खातेदार हो अर्थात उनका जमाबन्दी ,खेवट, खतोनी में नाम होना आवश्यक है,उसमें किस व्यक्ति का कितना हिस्सा हकत्याग किया जा रहा है उसकी एक 500 रू के स्टाम्प पेपर पर टाईप करवाकर सम्पूर्ण मसौदा तैयार करवाना होता है जो दोनो पक्षकारो के पक्ष में हो जिसे दोनो पक्षकार आसानी से समझ सके और उससे संतुष्ट हो गये है उसके बाद दोनो पक्षकार व गवाहो के फोटो आईडी लगाकर हस्ताक्षर करवाने होते है।
स्टेप 2 हकत्याग का सम्पूर्ण मसौदा तैयार होने के बाद ई पंजीयन पर ऑनलाइन करवाया जाता है।
स्टेप 3 उसके बाद दोनो पक्षकार कर्ता व ग्रहिता व गवाहन को उप पंजीयक कार्यालय में उपस्थित होकर अपना हकत्याग पत्र पंजीकृत करवाया जा सकता है।
स्टेप 4 हकत्याग कार्यालय में पंजीकरण होने के 3 दिवस में जाकर आप अपना मूल दस्तावेज सम्बन्घित कार्यालया से प्राप्त कर सकते है और अगर कोई परेशानी आपको होती है तो आप किसी भी एडवोकेट या डिडराइटर से सलाह ले सकते है।
क्या हकत्याग विलेख को निरस्त करवाया जा सकता है
- पंजीकृत हकत्याग विलेख को निरस्त नही किया जा सकता है, लेकिन पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत आप कुछ परिस्थितयों के आधार पर उसे निरस्त करवाया जा सकता है।
- हकत्याग अगर आपको जबरदस्ती से करवाया गया हो ।
- हकत्याग करवाते समय कुटरचित दस्तावेजो के आधार पर तैयार करवाये गये हो या किसी भी भी प्रकार की धोखधडी की गई हो।
- हकत्याग में अंतिम दस्तावेज में किसी तरह की गलत व्याख्या की गई हो ।
- उक्त परिस्थतियों में आप सिविल कोर्ट में जा सकते है लेकिन ध्यान रहे हकत्याग को 3 वर्ष के भीतर अन्दर मियाद निरस्त करवाया जा सकता है 3 वर्ष के बाद हकत्याग विलेख आप निरस्त नही करवा सकते है ।
FAQ:
हकत्याग विलेख को निरस्त करवाने की समय सीमा 3 वर्ष तक है
हां लेकिन विक्रय पत्र की फीस अधिक होती है
हां कानूनी रूप से दस्तावेज को वैध बनाये रखने के लिए हकत्याग विलेख को पंजीकरण करवाना आवश्यक है