ईमानदारी की कहानी
एक रामू नाम का व्यक्ति था । स्वभाव से बहुत गंभीर था । उसकी पढाई लिखाई पूरी हो चुकी थी लेकिन कोई नौकरी नहीं मिली थी । वह दिन रात नौकरी की तलाश में लगा रहता था और दिन रात नौकरी के लिए भटकता रहता था । रामू एक ईमानदार व्यक्ति भी था इस कारण भी उसे नौकरी मिलना कठिन हो गया था क्योंकि वह झॅूठ नही बोलता था । रामू के दिन इतने खराब आ गये कि उसे मजदूरी करनी पडी और उसके पास कोई विकल्प नही था रामू पढा लिखा था उसके व्यवहार से साफ दिखाई देता था ।एक दिन एक सेठजी के घर पर रामू मजदूरी करने गया था, सेठजी का ध्यान रामू के उपर ही था सेठजी को समझने में देर नही लगी कि रामू एक पढा लिखा,समझदार,ईमानदार व्यक्ति है।लेकिन मजबूरी के कारण उसे यह मजदूरी करनी पड रही है ।इधर सेठजी को अपने वि शेष काम के लिए रामू जैसे ईमानदार व्यक्ति की आवश्यकता थी उसने रामू की परीक्षा लेने की सोची ।
रामू की सेठजी द्वारा परिक्षा
एक दिन रामू को सेठजी ने अपने पास बुलाया और उसे 50 हजार रूपये दिए जिसमें सौ सौ के नोट थे और सेठजी ने कहा आज ईमानदार लगते हो ये रूपये एक व्यापारी को देकर आओ रामू ने ईमानदारी से रूपये व्यापारी को दे दिये दूसरे दिन फिर सेठजी ने रामू को रूपये दिये और व्यापारी को देकर आने के लिए कहा उसी प्रकार रामू व्यापारी को वे रूपये देकर आ गया ।इधर रामू की ईमानदारी को सेठजी देखना चाहते थे उसे रोज रूपये देने भेजते थे । एक ओर उसकी स्थिति बहुत खराब थी इस कारण एक दिन उसकी नियत खराब हो गई और उसने रूपये चुरा लिये जिसका सेठजी को पता चल गया था सेठजी ने कुछ नही कहा और फिर रामू को व्यापारी को रूपये देने के लिए भेज दिया सेठजी के न कहने पर रामू की और भी हिम्मत बढ गई और वह रोजना चोरी करने लग गया ।सेठजी को उम्मीद थी की एक दिन रामू जरूर सच्चाई बोलेगा लेकिन उसने सच्चाई नही बोली और एक दिन रामू को सेठजी ने नौकरी से निकाल दिया वास्तव में सेठजी उसको अपनी दुकान पर रखता और उसकाे मालिक बना देता । जब रामू को इस बात का पता चला तो वह बहुत दुखी हुआ और उसने यह भी स्वीकार किया कि चाहे परिस्थतियॉ कैसे भी हो ईमानदारी सर्वोच्च निति है । (Honesty Is The Best Policy) दोस्तो कैसी भी मुकाम आये ईमानदारी नही छोडनी चाहिए ईमानदारी जीवन की वो कमाई है जो मुश्किल है लेकिन कभी गलत अंत नही होता है
Every Person Should Introduce Honesty In His Life